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Showing posts from 2008

"ग़ज़ल" की "धुन" और "हवाओं" की "खुशबू" को महसूस कर जाया करते हैं......

कुछ रिश्ते होते हैं "हवाओं" की तरह, बनके "खुशबू" ज़िन्दगी मैं घुल जाया करते हैं, कुछ शख्स होते हैं "धुन " की तरह, बनके "ग़ज़ल" ज़िन्दगी सुरमई कर जाया करते हैं, जाने क्यूँ जब भी ज़िक्र होता है नाम का आपके, हम "ग़ज़ल" की "धुन" और "हवाओं" की "खुशबू" को महसूस कर जाया करते हैं....... नलिन

बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना

बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना वो मद्धम सा मुस्कुराना और वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाना, समझना मेरी हर बात को और मुझे हर बात समझाना, वो लड़ना तेरा मुझसे और फिर प्यार जताना बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना, वो शाम ढले करना बातें मुझसे और अपनी हर बात मुझे बताना, सुनके मेरी बेवकूफियां तुम्हारा ज़ोर से हंस जाना, मेरी हर गलती पे लगाना डांट और फिर उस डांट के बाद मुझे प्यार से समझाना, कोई और न होगा तुमसे प्यारा मुझे यह आज मैंने है जाना, वो राखी और भाई-दूज पे तुम्हारा टीका लगाना, कुमकुम मैं डूबी ऊँगली से मेरा माथा सजाना, खिलाना मुझे मिठाई प्यार से और दिल से दुआ दे जाना, बाँध के धागा कलाई पे मेरी अपने प्यार को जताना, कभी बन जाना माँ मेरी और कभी दोस्त बन जाना, देना नसीहतें मुझे और हिदायतें दोहराना, जब छाये गम का अँधेरा तोः खुशी की किरण बनके आना, हाँ तुम्ही से तोः सिखा है मैंने गम मैं मुस्कुराना, कहता है मन मेरा रहके दूर तुमसे मुझे अब एक लम्हा भी नही बिताना, अब बस "गुड्डू" को तोः है अपनी "परी दीदी&q

जिसकी "बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं

अक्सर हम यह ख़ुद से पुछा करते हैं, क्यूँ देख तस्वीर तेरी रोया करते हैं, जब रिश्ता कोई रहा न बीच हमारे , तोः फिर क्यों याद मैं तेरी आंसू बहा करते हैं, लिख दी जिसने तान्हइयां मेरी ज़िन्दगी के हर पहलु मैं , जाने क्यों उसके लिखे हर ख़त को सहेज के रखा करते हैं, है जब सफर ज़िन्दगी का तनहा , फिर क्यों हर मोड़ पे तेरा इंतज़ार करते हैं, और जब इंतज़ार गुज़र जाता है हद से , तोः फिर क्यों वीराने मैं नाम तेरा पुकारा करते हैं, रस्म-ऐ-मोहोब्बत कहती है की बेवफा को मिलती है सज़ा, फिर हम क्यों यह यह दर्द महसूस किया करते हैं, कभी थे बुलंद हम भी चाँद की तरह आसमान मैं, आज गुमनामी के अंधेरों मैं रहा करते हैं, साया भी अपना छोड़ देता है साथ अंधेरों मैं, तोः फिर क्यों हम राह तेरी तका करते हैं, कभी हुआ करते थे हम सुकूं जिस दिल का, आज उसी दिल को बेचैन किया करते हैं, आज हम इबादतों मैं अपनी, खुदा से यह दुआ करते हैं, न लिखे किसी और की किस्मत मैं गम-ऐ-जुदाई ऐसी फरियाद करते हैं, और पाये वो भी खुशियाँ दो जहाँ की, जिसकी "बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं.... नलिन

बस कुछ इसी तरह से हम अपनी प्रेम कहानी लिख जायेंगे...

अहिस्ता अहिस्ता हम तुझ मैं खो जायेंगे, हर गुज़रते पल मैं "तुम" "मैं" और "मैं" "तुम" हो जायेंगे, सोचा न था की ऐसे पल भी इस ज़िन्दगी में आयेंगे, दो चार कदम जो चले साथ वही हमारे हमसफ़र हो जायेंगे...... अब जो थामा तुमने हाथ तोः नामुमकिन को मुमकिन कर जायेंगे, एक तेरे प्यार के सहारे हम ज़िन्दगी की हर नफरत सह जायेंगे, तुम देना बस यूँही साथ मेरा तोः करिश्मा हम कर जायेंगे, दुनिया ने देखी न होगी मोहोब्बत की ऐसी मिसाल कायम कर जायेंगे, देखा जो हमने मिलके हर वोः ख्वाब पूरा कर जायेंगे, तेरी बाहों मैं अब अपनी ज़िन्दगी बिताएंगे, जोड़ के एक एक ईंट अपने सपनो का घर बसायेंगे, और उस छोटे से घर को तेरी मुस्कुराहटों से सजायेंगे, फिर जोड़ के दोनों हाथ भगवान् से दुआ कर जायेंगे, पाये तू खुशी दो जहाँ की और तेरे सारे गम मेरे हो जायेंगे, बहायेंगे आंसू हम तेरे हिस्से के और अपने हिस्से की मुस्कराहट तेरे लबों पे सजायेंगे, बस कुछ इसी तरह से हम अपनी प्रेम कहानी लिख जायेंगे........... नलिन

क्या है ?

यह जो हो रही है दो दिलों के दरमियान , यह अजब सी गुफ्तगू क्या है, कभी होता था मौसम गुलाबों का जहाँ , आज वहां काटों सी चुभन क्या है, मुस्कुराहटों का दौर हुआ करता था जिन होटों पे कभी, आज उन होटों पे गम-ऐ-ग़ज़ल क्या है, किसी ज़माने में हंसा करती थी जो आँखें, उन आंखों मैं यह आंसू क्या है, मानके खुदा तुझे किए सजदे तेरे इश्क में, तोह यह इबादतों मैं बेवफाई का ज़िक्र क्या है, कहते है शायर की है बेंतेहा सुकूं इश्क में, तोः फिर यह बेकरारी सी दिल मैं क्या है, क्यूँ भरते है वो दम मोहोब्बत का अपनी, जो ख़ुद समझते नही मोहोब्बत की आबरू क्या है, इसी उम्मीद पे काटी है ज़िन्दगी नलिन ने, वो काश पूछते की आरजू क्या है, नलिन

गुज़रे हुए हर लम्हे को जीना चाहता हूँ...

मद्धम मद्धम ही सही मुस्कुराना चाहता हूँ, थोड़ा सा ही सही पर गम भूलना चाहता हूँ, चाहत नही मुझे किसी आसमान की, अपनी हिस्से की बस ज़मीं चाहता हूँ, ज़िन्दगी हैं अनजान राहों का सफर, फिर भी इसे अपना जानकर निभाता हूँ, हजारों अनजान चेहरों के दरमियान , बस एक "अपना" सा चेहरा चाहता हूँ, दर्द और गम तो पाता है हर इंसान, और मैं भी जुदा नही जानता हूँ, है गम बांटने वाले भी बहुत, पर किसी "अपने" के सामने रोना चाहता हूँ, हूँ आज मैं तनहा इतना की, कागज़ कलम को हाल-ऐ-दिल बताता हूँ, बस एक बार देखले मुडके ए ज़िन्दगी, गुज़रे हुए हर लम्हे को जीना चाहता हूँ, नलिन .......

छु लिया है तुमने जो दिल को, ख्वाबों को मेरे मंजिल मिली,

छु लिया है तुमने जो दिल को, ख्वाबों को मेरे मंजिल मिली, एक तन्हा रात सी मेरी ज़िन्दगी को, चांदनी की पहली किरण मिली, महकता समां और मदहोश सी है सारी फिजा, लगता है जैसे तेरे प्यार ने हौले से मेरे दिल पे दस्तक दी .......... नलिन

शायद है "प्यार" यही .............

कर सकूँ बयां उसकी खूबसूरती यह मुमकिन नही , लिख दूँ कोई ग़ज़ल ऐसे शब्द मेरे पास नही , जब थामा हाथ मेरा उसने और नज़रों से नज़र मिली, उस पल हुआ एहसास शायद है "प्यार" यही ............. नलिन

बस यही है "ज़िन्दगी"

किसी और की मुस्कराहट मैं ढूँढना खुशी, और किसी के आंसुओं मैं अपना गम तलाशना , कुछ और नही यही बस यही है "ज़िन्दगी" नलिन , किसी की मुस्कराहट की खातिर हर गम हंसके झेलना ... नलिन

सच्चे दोस्त की बस यही पहचान है

सच्चे दोस्त की बस यही पहचान है , की वो उस वक्त आपकी आंखों मैं दर्द देख लेता है, जब साडी दुनिया आपसे कह रही होती है की "यार तुम हँसते बहुत हो"......

मेरा गम और मेरी हर खुशी तुमसे है

मेरा गम और मेरी हर खुशी तुमसे है, यह दिल का दर्द और सुकून की मोजूदगी तुमसे है, बंद आँखें और भरोसा है तुमपे बेंतेहा, जिंदगी की अँधेरी राहों में रौशनी अब तुमसे है। नलिन

बस यही एक "जज़्बात" ज़िन्दगी कहलाता है

खाके ठोकर "दर्द" का एहसास होता है, "दर्द" के उस एहसास में एक "जज़्बात" जवां होता है, कोई बनाता है इसे ताकत अपनी और किसी की कमजोरी हो जाता है, बस यही एक "जज़्बात" ज़िन्दगी कहलाता है...... नलिन....

कभी कभी जब मेरी ज़िन्दगी की राहों में

कभी कभी जब मेरी ज़िन्दगी की राहों में , किसी अनजाने मोड़ पे तेरी यादों से सामना हो जाता है , बस उस एक पल में जैसे सब थम सा जाता है , फिर एहसास लेते हैं कुछ यूँ करवटें की दिल का दर्द बनके आंसू बह जाता है.................
किसी की मोजुदगी आपकी जिंदगी में क्या माइने रखती है , इस बात का एहसास अक्सर उस खास 'किसी' के दूर जाने पर ही होता है । कुछ ऐसा ही इन दिनों मैं महसूस कर रहा हूँ, किसी के दूर जाने से अपनापन और प्यार कभी कम नही होता है, पर मन यह सब नही समझता । जिंदगी कभी कभी अजीब बनके सामने आती है , ख़ुद को संभालना और समझाना मुश्किल हो जाता है। पता नही अभी और क्या क्या बाकि है , इस जिंदगी मैं , बस खुदा से यही दुआ है की, मैं जिनसे बहुत प्यार करता हूँ, जो मेरे लिए बहुत खास हैं, उन्हें इस जहाँ की हर खुशी मिले। नलिन

women's liberation

मेरे हिसाब से women's liberation का पहला chapter खुद भगवान ने ही लिखा था , औरत को माँ और बहन बनने की ज़िम्मेदारी देकर, ममता, दोस्ती, प्यार बहने और माएं हर रिश्ता निभा लेती हैं . नलिन

ज़ालिम ज़िन्दगी का खेल तो देखिये......

ज़ालिम ज़िन्दगी का खेल तो देखिये, कोई दूसरा आपके हालात पर आंसू बहता है और आपको उसे तसल्ली देनी पड़ती है , सच पूछिये तो ज़िन्दगी अक्सर अजीब बनके सामने आती है , हर कोई चाहता हैं की तकलीफें उससे दूर रहे, पर इतेफाक यह है की तकलीफों की वजह से ही लोग एक दुसरे के करीब आते हैं

सारी दुनिया मैं इंसान.....

सारी दुनिया मैं इंसान ही एक ऐसा जानवर है ,जो अपने अन्दर हो रहे एहसास को छुपाता रहता है ,पता नहीं क्यूँ पर करते हम सब है.............मैंने पढ़ा था की इन्सान दबाव मैं, कुछ देर अपने ग़मों से दूर होने के लिए जानबूझ के अपनी यादाश्त खुद मिटा देता है, बड़ी पहुंची हुई चीज़ है इन्सान भी, जिंदा रहने के रास्ते ढूंढ लेता है .......... नलिन ......