सारी दुनिया मैं इंसान.....
सारी दुनिया मैं इंसान ही एक ऐसा जानवर है ,जो अपने अन्दर हो रहे एहसास को छुपाता रहता है ,पता नहीं क्यूँ पर करते हम सब है.............मैंने पढ़ा था की इन्सान दबाव मैं, कुछ देर अपने ग़मों से दूर होने के लिए जानबूझ के अपनी यादाश्त खुद मिटा देता है, बड़ी पहुंची हुई चीज़ है इन्सान भी, जिंदा रहने के रास्ते ढूंढ लेता है ..........
नलिन ......
नलिन ......
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