जब वो "उफ़" कहा करती है.
मुस्कुराये जब वो तोः सारी कायनात हंसा करती है,
पड़े उसके कदम जहाँ वो जगह जन्नत हुआ करती है,
दिल के सागर में एहसासों की एक लहर उठा करती है,
मेरी बदमाशियों पे जब वो "उफ़" कहा करती है
जो मुड़के देख ले बस एक नज़र तोः ज़िन्दगी थमा करती है,
उसके हर कदम की आहट पे ऋतुएं बदला करती है,
मेरे बिखरे से लफ्जों की ग़ज़ल बना करती है,
सुनके मेरे काफिये जब वो "उफ़" कहा करती है,
जब भी मिल जाए वो तोः खुशियाँ इनायत करती है,
अपनी प्यारी बातों से मन को छुआ करती है,
मेरी ज़िन्दगी की रहगुज़र को मंजिल मिला करती है,
सुनके मेरी दास्तान-ए-ज़िन्दगी जब वो "उफ़" कहा करती है,
खुदा ही जाने यह कैसी जुस्तुजू साथ मेरे हुआ करती है,
जितना रहता हूँ दूर उससे उतना ही वो मेरे करीब हुआ करती है,
यह कैसी कशिश उसके लफ्जों में हुआ करती है,
ज़िन्दगी से होती है मोहोब्बत जब वो "उफ़" कहा करती है.
नलिन
Comments
this is awesome, as always
keep writing such beautiful........
:)
Meri ek bahut aachi aur Pyaari dost hai..... woh aksar "uff" bola karti hai, toh bas uski uff sunte sunte, achanak man me kuch likhne ka khayal aaya, aur yeh kavita ban gayi...........