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Showing posts from November, 2008

बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना

बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना वो मद्धम सा मुस्कुराना और वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाना, समझना मेरी हर बात को और मुझे हर बात समझाना, वो लड़ना तेरा मुझसे और फिर प्यार जताना बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना, वो शाम ढले करना बातें मुझसे और अपनी हर बात मुझे बताना, सुनके मेरी बेवकूफियां तुम्हारा ज़ोर से हंस जाना, मेरी हर गलती पे लगाना डांट और फिर उस डांट के बाद मुझे प्यार से समझाना, कोई और न होगा तुमसे प्यारा मुझे यह आज मैंने है जाना, वो राखी और भाई-दूज पे तुम्हारा टीका लगाना, कुमकुम मैं डूबी ऊँगली से मेरा माथा सजाना, खिलाना मुझे मिठाई प्यार से और दिल से दुआ दे जाना, बाँध के धागा कलाई पे मेरी अपने प्यार को जताना, कभी बन जाना माँ मेरी और कभी दोस्त बन जाना, देना नसीहतें मुझे और हिदायतें दोहराना, जब छाये गम का अँधेरा तोः खुशी की किरण बनके आना, हाँ तुम्ही से तोः सिखा है मैंने गम मैं मुस्कुराना, कहता है मन मेरा रहके दूर तुमसे मुझे अब एक लम्हा भी नही बिताना, अब बस "गुड्डू" को तोः है अपनी "परी दीदी&q

जिसकी "बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं

अक्सर हम यह ख़ुद से पुछा करते हैं, क्यूँ देख तस्वीर तेरी रोया करते हैं, जब रिश्ता कोई रहा न बीच हमारे , तोः फिर क्यों याद मैं तेरी आंसू बहा करते हैं, लिख दी जिसने तान्हइयां मेरी ज़िन्दगी के हर पहलु मैं , जाने क्यों उसके लिखे हर ख़त को सहेज के रखा करते हैं, है जब सफर ज़िन्दगी का तनहा , फिर क्यों हर मोड़ पे तेरा इंतज़ार करते हैं, और जब इंतज़ार गुज़र जाता है हद से , तोः फिर क्यों वीराने मैं नाम तेरा पुकारा करते हैं, रस्म-ऐ-मोहोब्बत कहती है की बेवफा को मिलती है सज़ा, फिर हम क्यों यह यह दर्द महसूस किया करते हैं, कभी थे बुलंद हम भी चाँद की तरह आसमान मैं, आज गुमनामी के अंधेरों मैं रहा करते हैं, साया भी अपना छोड़ देता है साथ अंधेरों मैं, तोः फिर क्यों हम राह तेरी तका करते हैं, कभी हुआ करते थे हम सुकूं जिस दिल का, आज उसी दिल को बेचैन किया करते हैं, आज हम इबादतों मैं अपनी, खुदा से यह दुआ करते हैं, न लिखे किसी और की किस्मत मैं गम-ऐ-जुदाई ऐसी फरियाद करते हैं, और पाये वो भी खुशियाँ दो जहाँ की, जिसकी "बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं.... नलिन

बस कुछ इसी तरह से हम अपनी प्रेम कहानी लिख जायेंगे...

अहिस्ता अहिस्ता हम तुझ मैं खो जायेंगे, हर गुज़रते पल मैं "तुम" "मैं" और "मैं" "तुम" हो जायेंगे, सोचा न था की ऐसे पल भी इस ज़िन्दगी में आयेंगे, दो चार कदम जो चले साथ वही हमारे हमसफ़र हो जायेंगे...... अब जो थामा तुमने हाथ तोः नामुमकिन को मुमकिन कर जायेंगे, एक तेरे प्यार के सहारे हम ज़िन्दगी की हर नफरत सह जायेंगे, तुम देना बस यूँही साथ मेरा तोः करिश्मा हम कर जायेंगे, दुनिया ने देखी न होगी मोहोब्बत की ऐसी मिसाल कायम कर जायेंगे, देखा जो हमने मिलके हर वोः ख्वाब पूरा कर जायेंगे, तेरी बाहों मैं अब अपनी ज़िन्दगी बिताएंगे, जोड़ के एक एक ईंट अपने सपनो का घर बसायेंगे, और उस छोटे से घर को तेरी मुस्कुराहटों से सजायेंगे, फिर जोड़ के दोनों हाथ भगवान् से दुआ कर जायेंगे, पाये तू खुशी दो जहाँ की और तेरे सारे गम मेरे हो जायेंगे, बहायेंगे आंसू हम तेरे हिस्से के और अपने हिस्से की मुस्कराहट तेरे लबों पे सजायेंगे, बस कुछ इसी तरह से हम अपनी प्रेम कहानी लिख जायेंगे........... नलिन

क्या है ?

यह जो हो रही है दो दिलों के दरमियान , यह अजब सी गुफ्तगू क्या है, कभी होता था मौसम गुलाबों का जहाँ , आज वहां काटों सी चुभन क्या है, मुस्कुराहटों का दौर हुआ करता था जिन होटों पे कभी, आज उन होटों पे गम-ऐ-ग़ज़ल क्या है, किसी ज़माने में हंसा करती थी जो आँखें, उन आंखों मैं यह आंसू क्या है, मानके खुदा तुझे किए सजदे तेरे इश्क में, तोह यह इबादतों मैं बेवफाई का ज़िक्र क्या है, कहते है शायर की है बेंतेहा सुकूं इश्क में, तोः फिर यह बेकरारी सी दिल मैं क्या है, क्यूँ भरते है वो दम मोहोब्बत का अपनी, जो ख़ुद समझते नही मोहोब्बत की आबरू क्या है, इसी उम्मीद पे काटी है ज़िन्दगी नलिन ने, वो काश पूछते की आरजू क्या है, नलिन

गुज़रे हुए हर लम्हे को जीना चाहता हूँ...

मद्धम मद्धम ही सही मुस्कुराना चाहता हूँ, थोड़ा सा ही सही पर गम भूलना चाहता हूँ, चाहत नही मुझे किसी आसमान की, अपनी हिस्से की बस ज़मीं चाहता हूँ, ज़िन्दगी हैं अनजान राहों का सफर, फिर भी इसे अपना जानकर निभाता हूँ, हजारों अनजान चेहरों के दरमियान , बस एक "अपना" सा चेहरा चाहता हूँ, दर्द और गम तो पाता है हर इंसान, और मैं भी जुदा नही जानता हूँ, है गम बांटने वाले भी बहुत, पर किसी "अपने" के सामने रोना चाहता हूँ, हूँ आज मैं तनहा इतना की, कागज़ कलम को हाल-ऐ-दिल बताता हूँ, बस एक बार देखले मुडके ए ज़िन्दगी, गुज़रे हुए हर लम्हे को जीना चाहता हूँ, नलिन .......

छु लिया है तुमने जो दिल को, ख्वाबों को मेरे मंजिल मिली,

छु लिया है तुमने जो दिल को, ख्वाबों को मेरे मंजिल मिली, एक तन्हा रात सी मेरी ज़िन्दगी को, चांदनी की पहली किरण मिली, महकता समां और मदहोश सी है सारी फिजा, लगता है जैसे तेरे प्यार ने हौले से मेरे दिल पे दस्तक दी .......... नलिन

शायद है "प्यार" यही .............

कर सकूँ बयां उसकी खूबसूरती यह मुमकिन नही , लिख दूँ कोई ग़ज़ल ऐसे शब्द मेरे पास नही , जब थामा हाथ मेरा उसने और नज़रों से नज़र मिली, उस पल हुआ एहसास शायद है "प्यार" यही ............. नलिन

बस यही है "ज़िन्दगी"

किसी और की मुस्कराहट मैं ढूँढना खुशी, और किसी के आंसुओं मैं अपना गम तलाशना , कुछ और नही यही बस यही है "ज़िन्दगी" नलिन , किसी की मुस्कराहट की खातिर हर गम हंसके झेलना ... नलिन