जिसकी "बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं

अक्सर हम यह ख़ुद से पुछा करते हैं, क्यूँ देख तस्वीर तेरी रोया करते हैं,
जब रिश्ता कोई रहा न बीच हमारे , तोः फिर क्यों याद मैं तेरी आंसू बहा करते हैं,
लिख दी जिसने तान्हइयां मेरी ज़िन्दगी के हर पहलु मैं ,
जाने क्यों उसके लिखे हर ख़त को सहेज के रखा करते हैं,

है जब सफर ज़िन्दगी का तनहा , फिर क्यों हर मोड़ पे तेरा इंतज़ार करते हैं,
और जब इंतज़ार गुज़र जाता है हद से , तोः फिर क्यों वीराने मैं नाम तेरा पुकारा करते हैं,
रस्म-ऐ-मोहोब्बत कहती है की बेवफा को मिलती है सज़ा,
फिर हम क्यों यह यह दर्द महसूस किया करते हैं,

कभी थे बुलंद हम भी चाँद की तरह आसमान मैं, आज गुमनामी के अंधेरों मैं रहा करते हैं,
साया भी अपना छोड़ देता है साथ अंधेरों मैं, तोः फिर क्यों हम राह तेरी तका करते हैं,
कभी हुआ करते थे हम सुकूं जिस दिल का,
आज उसी दिल को बेचैन किया करते हैं,

आज हम इबादतों मैं अपनी, खुदा से यह दुआ करते हैं,
न लिखे किसी और की किस्मत मैं गम-ऐ-जुदाई ऐसी फरियाद करते हैं,
और पाये वो भी खुशियाँ दो जहाँ की,
जिसकी "बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं....

नलिन

Comments

बेह्तर प्रस्तुतीकरन के लिए बधाई स्वीकार करे
Anonymous said…
Dard aur bhi hai jamane mai ek mohabbat ke siva.....
प्रिय नलिन,
आप का स्वागत है. लिखते रहें."बेवफाई" के साथ हम रोज़ "मोहोब्बत" किया करते हैं...." बढ़िया लिखा. आज उदासी का दिन हैं. फिर कभी.
http://mallar.wordpress.com
JAISHREE said…
pad kar apne dil ka haal sa laga... very well writen.
photograph ke lie mere blog par suwgat hai...
http://www.myperfectpictures.blogspot.com/
Rajeysha said…
Dear! Mere computer par to Machine language me dikh raha hai aapka blog? Shayad aapko blog template change karna chahiye!
Rajeysha said…
Dear! Tumhare blog feed se tumhaara likha dekha.
Bhavnaye acchhi hain.
Bhavnaye jyaada, lines aur shabd kam karna theek rahega.

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