बस यही एक "जज़्बात" ज़िन्दगी कहलाता है

खाके ठोकर "दर्द" का एहसास होता है,
"दर्द" के उस एहसास में एक "जज़्बात" जवां होता
है,
कोई बनाता है इसे ताकत अपनी और किसी की कमजोरी हो जाता है,
बस यही एक "जज़्बात" ज़िन्दगी कहलाता है......
नलिन....

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